प्रिय मित्रो....
भ्रम, द्वेष, अविश्वसनीयता, अहंकार, पद और नाम की चाहत अक्सर ऐसे विचारों को जन्म देते हैं जो किसी भी विद्वान से विद्वान व्यक्ति को सही मार्ग से भटका सकते हैं ! समय और परिस्थितियों के अनुरूप व्यक्ति के विचार बदलते हैं, यह अटल सत्य है ! अगर व्यक्ति में कोई भी अवगुण है तो उसे पहचान कर दूर करने का प्रयतन करना चाहिए ! परिस्थितियों का सम्पूर्ण आंकलन करने के पश्चात् अपने विचारों को सामने रखना अतिउत्तम माना गया है ! भ्रमिक स्तिथि से उबरने के लिए तथ्यों का हिस्सा बनिए, उसके योग्य बनिए, सिर्फ ऊपरी सतह पर वार नहीं करते रहना है ! कार्य कठिन है परन्तु स्वाभाविक और सुखी जीवन जीने के लिए आव्यश्यक भी है ! अंतिम बात : स्वयं का गुणगान स्वयं कदापि न करें ! यह कार्य समाज का है ! यह मेरे विचार हैं, जैसा की ओशो ने कहा था कि
"मैं यह नहीं कहता कि मेरे विचारों को सत्य मानो, अच्छा लगे तो अपना लेना !
"सत्य को कई हज़ारों तरीकों से कहा जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य हो सकता है"
- स्वामी विवेकानंद !
"कोई काम शुरू करने से पहले, स्वयं से तीन प्रश्न कीजिये – मैं यह क्यों कर रहा हूँ, इसके परिणाम क्या हो सकते हैं और क्या मैं सफल होऊंगा, और जब गहरई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जायें, तभी आगे बढें"
- चाणक्य !
आभार.....
अमन आज़ाद
Dear Friends...
Illusion, malice, distrust, ego, the desire of name & fame.. they all give birth to those thoughts which can mislead any great scholar. The thoughts of a person changes according to the time & situation, this is Irrevocable truth. If a person has any one of the vices so one should identify & try to get rid of these vices. After the complete & deep analysis of a situation, it is considered great to share your thoughts with others. To get out of illusion or confusion be a part of facts, be deserving & just don't hammer on the upper surface. Task is difficult but it is a necessary for living a normal & happy life. Last thing : Never do self praise, this a work of the society. These are my thoughts like osho has said :
"I don't say that take my thoughts as truth, if you like it accept it !
"Truth can be stated in a thousand different ways, yet each one can be true."
- Swami Vivekanand.
"Before you start some work, always ask yourself three questions – why am I doing it, what the results might be and will I be successful. Only when you think deeply and find satisfactory answers to these questions, go ahead."
- Chankya.
Regards...
Aman Azad
भ्रम, द्वेष, अविश्वसनीयता, अहंकार, पद और नाम की चाहत अक्सर ऐसे विचारों को जन्म देते हैं जो किसी भी विद्वान से विद्वान व्यक्ति को सही मार्ग से भटका सकते हैं ! समय और परिस्थितियों के अनुरूप व्यक्ति के विचार बदलते हैं, यह अटल सत्य है ! अगर व्यक्ति में कोई भी अवगुण है तो उसे पहचान कर दूर करने का प्रयतन करना चाहिए ! परिस्थितियों का सम्पूर्ण आंकलन करने के पश्चात् अपने विचारों को सामने रखना अतिउत्तम माना गया है ! भ्रमिक स्तिथि से उबरने के लिए तथ्यों का हिस्सा बनिए, उसके योग्य बनिए, सिर्फ ऊपरी सतह पर वार नहीं करते रहना है ! कार्य कठिन है परन्तु स्वाभाविक और सुखी जीवन जीने के लिए आव्यश्यक भी है ! अंतिम बात : स्वयं का गुणगान स्वयं कदापि न करें ! यह कार्य समाज का है ! यह मेरे विचार हैं, जैसा की ओशो ने कहा था कि
"मैं यह नहीं कहता कि मेरे विचारों को सत्य मानो, अच्छा लगे तो अपना लेना !
"सत्य को कई हज़ारों तरीकों से कहा जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य हो सकता है"
- स्वामी विवेकानंद !
"कोई काम शुरू करने से पहले, स्वयं से तीन प्रश्न कीजिये – मैं यह क्यों कर रहा हूँ, इसके परिणाम क्या हो सकते हैं और क्या मैं सफल होऊंगा, और जब गहरई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जायें, तभी आगे बढें"
- चाणक्य !
आभार.....
अमन आज़ाद
Dear Friends...
Illusion, malice, distrust, ego, the desire of name & fame.. they all give birth to those thoughts which can mislead any great scholar. The thoughts of a person changes according to the time & situation, this is Irrevocable truth. If a person has any one of the vices so one should identify & try to get rid of these vices. After the complete & deep analysis of a situation, it is considered great to share your thoughts with others. To get out of illusion or confusion be a part of facts, be deserving & just don't hammer on the upper surface. Task is difficult but it is a necessary for living a normal & happy life. Last thing : Never do self praise, this a work of the society. These are my thoughts like osho has said :
"I don't say that take my thoughts as truth, if you like it accept it !
"Truth can be stated in a thousand different ways, yet each one can be true."
- Swami Vivekanand.
"Before you start some work, always ask yourself three questions – why am I doing it, what the results might be and will I be successful. Only when you think deeply and find satisfactory answers to these questions, go ahead."
- Chankya.
Regards...
Aman Azad
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